370 के बाद नागरिकता संशोधन बिल पर तकरार, शीतकालीन सत्र में लाएगी सरकार

New Delhi : मोदी सरकार 2.0 एक के बाद अपने घोषणापत्र में किए वायदे पूरे कर लगता है, विपक्ष के लिए मैदान खाली नहीं छोड़ने के मूड में नहीं है। लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही आक्रामक दिख रही बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अब नागरिकता संशोधन विधेयक पर आगे बढ़ सकती है। खबर है कि सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है। इस विधेयक के चलते संसद में विपक्षी दलों और सत्ता पक्ष के बीच घमासान भी देखने को मिल सकता है।

हम आपको बता दें कि नागरिक संशोधन विधेयक के तहत 1955 के सिटिजनशिप ऐक्ट में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते एक साल से लेकर 6 साल तक में भारत आकर बसे हैं। फिलहाल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए यह अवधि 11 साल की है।

होम मिनिस्टर अमित शाह ने पिछले दिनों कहा था कि वह असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस लागू होने से पहले इसे लाना चाहते हैं। इससे एनआरसी में जगह न पाने वाले गैर-मुस्लिमों को राहत मिल सकेगी और उन्हें भारत का ही नागरिक माना जाएगा। लेकिन कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा है कि यह विधेयक संविधान का उल्लंघन करता है। विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है, जो धार्मिक समानता की बात करता है।

बीजेपी सरकार ने आम चुनाव से पहले अपने पिछले कार्यकाल में भी यह विधेयक पेश किया था, लेकिन विपक्षी दलों के कड़े विरोध के कारण इसे पारित नहीं करा सकी थी। विपक्षी दलों ने विधेयक को धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताया था। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक निष्प्रभावी हो गया था इसलिए इसे अब नए सिरे से पेश किया जाएगा। ऐसे में एक बार फिर से संसद में घमासान होने के पूरे आसार हैं।